इलाहाबाद जैसी स्वादिष्ट चाट कहीं नहीं मिलती। नौकरी के चक्कर में कई प्रदेशों के तमाम बड़े- छोटे शहरों में रहने के बाद मैं यह प्रमाणपत्र जारी कर सकता हूं। इलाहाबाद जैसा दमालू और सकौड़ा तो मुझे कहीं मिला नहीं। अच्छा दही बड़ा भी खाने को कहीं नहीं मिला। इलाहाबादी जानते हैं कि लोकनाथ ही नहीं कर्नलगंज में रवि और पंडित जी के दमालू और सकौड़ा का कोई सानी नहीं है। राजस्थान के ऐतिहासिक शहर अलवर में पिछले दिनों जब मैंने दही बड़ा खाया तो मुझे अपनी धारणा में थोड़ा संशोधन करना पड़ा। अलवर का दही बड़ा भी इलाहाबादी दही बड़े जैसा ही सॉफ्ट और स्वादिष्ट है। मुंह में रखिए और घुल जाए।
वैसे तो चटोरा क्लब के मेंबर्स को खाने का बहाना नहीं ढूंढऩा होता। फिर भी जस्टीफिकेशन के लिए कुछ तो लोगों को बताना ही पड़ता है। इसी तरह के जस्टीफिकेशन में यह बात कह रहा हूं कि बारिश के मौसम में खट्टा-मीठा खाने का मन होता ही है। आसपास जब सब कुछ फीका फीका हो तो लगता है, चलो दही-बड़ा हो जाए। वाह क्या नाम लिया है। मजा आ गया। नाम सुनते ही पूरा मुंह स्वाद से भर गया।
अलवर के लोग भी दही बड़े के दीवाने हैं। इसीलिए यहां कई जगह स्वादिष्ट दही बड़ा मिलता है। कुछ रेस्टोरेंट और दुकानों में तो दही बड़े के लिए ही भीड़ जुटती है। लोगों के यहां कोई आए तो दही बड़ा बाजार से पैक होकर आकर खाने की शान बढ़ाता है। शहर में दही बड़े के लिए प्रेम पवित्र भोजनालय का खास नाम है। भोजनालय के संचालक ललित बेनीवाल बताते हैं कि दालों की क्वालिटी व दालों को मथने का तरीका ही विशेष है, जो उनके दही बड़े को स्वादिष्ट बनाता है। नंगली चौराहे पर तीजा रेस्टोरेंट पर तो दही बड़े के शौकीन सुबह से शाम तक जुटे रहते हैं। तीजा के संचालक विजय कुमार सैनी बताते हैं कि मेरे दही बड़े मुलायम होते है। शुद्ध अमचूर की चटनी दही बड़ों को विशेष जायका देती है। होटल इंद्रलोक क्लासिक के दही बड़े भी लोगों को पसंद आते हैं। इस होटल पर तो कुछ लोग दही बड़ों का शौक पूरा करने के लिए ही आते हैं। होटल संचालक पवन खंडेलवाल कहते हैं कि दही बड़े की दो वैरायटी हमारे यहां है। साथ ही हमारी चटनी दही बड़े को मनभावन टेस्ट देती है। काशीराम चौराहे पर लक्की चाट भंडार, अलीगढ़ वाले का नाम भी स्वादिष्ट दही बड़े बनाने वालों में शामिल है। इनके यहां ड्राई फ्रूट की चटनी दही बड़े का स्वाद बढ़ाती है। पुलिस कंट्रोल रूम के पास स्थित रामकिशोर के दही बड़े की दुकान भी शहर में खास नाम रखती है। राम किशोर का कहना है कि उनके बनाए दही बड़े मसालों के कारण लोगों को पसंद आते हैं। इनके अलावा तहसील के समीप रोड नंबर दो पर बत्रा चाट भंडार और सामान्य चिकित्सालय के पास गुप्ताजी के दही बड़े का भी नाम शहर में स्वाद के शौकीनों के बीच सम्मान के साथ लिया जाता है।
खीर भी बरसात में
बारिश के मौसम में खीर भी बहुत आनंद देती है। खीर के नाम पर शहर में प्रेम पवित्र भोजनालय का ही नाम लोगों के जेहन में आता है। यहां की खीर के तमाम रसिया आपको शहर में मिल जाएंगे। यहां के खाने में खीर विशेष स्थान रखती है। लोगों की माने तो यहां खीर खाए बगैर भोजन और अलवर दोनों का मजा अधूरा है। मेरा मानना है कि इलाहाबादियों को अलवर में खीर और दही बड़ा पसंद आएगा। एक सूचना और दे दूं अलवर के गोलगप्पों की टेसि्टंग चल रही है। अच्छे हुए तो उसका स्वाद भी जल्दी ही बताऊँगा।
1 comment:
मुँह में पानी आ गया !
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