अलवर बिना मात्रा का शहर है। यानी अलवर शहर के नाम में कोई मात्रा नहीं है। आज मैं राजस्थान के लोक कलाकारों के एक कार्यक्रम में गया तो वहां एक कलाकार ने बड़े स्वर में गाते हुए अपने शहर अलवर के बारे में परिचय दिया। काव्य शास्त्र और भाषा विज्ञान को दिमाग से निकालकर लोक कलाकार रचित इस शेर का आप भी आनंद लीजिए। जैसा मैंने लिया और मेरे साथ सैकड़ों की संख्या में उपस्थित श्रोताओं ने वाह-वाह का अच्छा खासा शोर करके कलाकार का उत्साह बढ़ाया।
बिना मात्रा का जिला हमारा, जिसकी निराली शान है।
मेवात अंचल पास में, पूर्वी राजस्थान है।
जहां से शिक्षा शुरू होती है, वह पहला अक्षर आता है।
बाकी अक्षर तीन बचे, उनसे लवर हो जाता है।
ल अक्षर भी हटा दिया तो फिर वर ही रह जाता है।
वर तो सबको प्यारा है, अरावली पर्वत माला से घिरा हुआ।
यह अलवर जिला हमारा है।
आपको यहां यह भी बता दें कि अलवर के उक्त कलाकार भपंग बजाने के लिए टीवी चैनल कलर्स के इंडिया गॉट टैलेंट में हिस्सा ले चुके हैं।
1 comment:
हम अलवर के ही होकर भी,ना जान सके क्या अलवर है..
ये जान हुआ मन मतवाला, की अलवर में अपना घर है...
क्या खूब लिखा क्या खूब कहा, मन उदगारों से भरा हुआ
मेरी नजरो में इलहाबाद , ज्यो नजर आपके अलवर है.....
"अदभुत"
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