Thursday, June 30, 2011

रुपए उगलती सडक़

सुनकर विश्वास नहीं होता कि सौ किलोमीटर की कोई सडक़ सरकार के खजाने में 25 लाख रुपए रोज भरती है। आपको विश्वास हुआ? नहीं ना। आप भले इसे आश्चर्यजनक मानें, लेकिन यह सच है। इस सडक़ का सच जानने की उत्सुकता ही हमें इस सडक़ तक ले आई। हम इस सडक़ पर 200 किलोमीटर चले। यानी सौ किलोमीटर गए और फिर सौ किलोमीटर लौटे। हमने सच्चाई तो जानी ही एक आनंददायी और स्वप्निल यात्रा भी की।

यह सडक़ अहमदाबाद से बड़ोदरा जाती है। इसे नेशनल एक्सप्रेस वे -1 के नाम से जाना जाता है। यह भारत की पहली प्रोटेक्टेड रोड है। सौ किलोमीटर लंबी इस एक्सप्रेस वे के बीच कहीं कट नहीं है। इसलिए बीच में आप यू टर्न लेकर लौट नहीं सकते। दाएं- बाएं जाने के रास्ते हैं। आप उन पर जा सकते हैं। सडक़ सीधी सपाट है। कहीं कोई बड़ा घुमाव नहीं। क्रास करने वाली सडक़ें ओवर ब्रिज से गुजरती हैं। नदियों पर चौड़े पुल हैं। सडक़ कभी भी कहीं से उखड़ी या टूटी नहीं मिलती। इसलिए इस पर चलते हुए आपको ब्रेक का कोई काम नहीं पड़ता। सिर्फ एक्सीलेटर दबाए रहना पड़ता है।

एक्सप्रेस वे पर पैदल और दोपहिया वाहन प्रतिबंधित हैं। किसी जानवर के आने का तो सवाल ही नहीं। इसलिए चार पहिया वाहन निश्चिंतता से चलते हैं। या कहिए भागते हैं। गाडिय़ां आपके बगल से धनुष से छूटे तीर की तरह निकलती हैं। बगल से सनसनाती हुई गुजरती गाडिय़ां आपको रोमांचित कर देती हैं। आपके भीतर भी स्पीड में गाड़ी चलाने की सनसनी भर उठती है। स्पीड का थि‎्रल देखने के लिए थोड़ी देर हमने भी 140 की स्पीड में गाड़ी दौड़ाई। वैसे हमने 50 मिनट में अहमदाबाद से बड़ोदरा तक की सौ किलोमीटर की दूरी तय की। लौटते समय हम फोटोग्राफी करते हुए आए, इसलिए हमें सवा घंटे लग गए। मजे की बात यह है कि एक्सप्रेस वे पर गाडिय़ां इतनी रफ्तार से गुजरती हैं कि सडक़ हरदम खाली और सूनी लगती है। टोल पर भी गाडिय़ों की भीड़ नहीं दिखती।

नेशनल हाईवे अथारिटी (एनएचआई) के अधीन इस एक्सप्रेस वे के टोल बूथों को भी हमने देखा। सडक़ पर बने इन बूथों के ऊपर जब हम गए तो यह देखकर दंग रह गए कि वहां एयरकंडीशंड कान्फ्रेंस हाल से लेकर अधिकारियों और स्टाफ के कार्यालय तक चल रहे हैं। हम पहली बार किसी टोल बूथ की सीढिय़ां चढ़े थे। इसलिए सडक़ पर यह ऐशोआराम हमारी कल्पना से परे था। हम सोचते थे कि बूथों के ऊपर स्टाफ के आराम करने और पैसा आदि के हिसाब किताब करने की अस्थाई व्यवस्था होती होगी। बूथों के ऊपर एयरकंडीशंड ऑफिस देखकर हम चकित थे। एक खूबसूरत और आरामदायक सोफे पर बैठकर हमने वहीं कॉफी पीते हुए अपनी जिज्ञासाएं दूर कीं।

नेशनल एक्सप्रेस वे -1 पर टोल की वसूली में लगभग 350 कर्मचारी अधिकारी लगे हैं। इस मार्ग से औसतन 20 हजार गाडिय़ां प्रतिदिन गुजरती हैं। इनमें 12 हजार छोटी और लगभग 8 हजार बड़ी गाडिय़ां होती हैं। इन गाडिय़ों से इस सडक़ पर चलने के लिए टोल टैक्स के रूप में प्रतिदिन 25 लाख रुपए की वसूली होती है। सडक़ के बीच में बोगनबेलिया की लतरें अपने लाल, पीले और सफेद फूलों से आपका मन मोह लेती हैं। सडक़ के दोनों किनारे हरे भरे वृक्षों से भरे हैं। एक्सप्रेस वे के पूरे सौ किलोमीटर में आपको विज्ञापन की एक भी होर्डिंग नहीं मिलेगी। फूलों और हरियाली से भरी चौड़ी चिकनी सडक़ आपकी यात्रा को स्वप्निल और आनंददायी बना देती है। कभी अहमदाबाद जाइए तो इस एक्सप्रेस वे पर जाना मत भूलिए। मेरा विश्वास है कि नेशनल एक्सप्रेस वे -1 की आपकी यात्रा यादगार और सुखद होगी। बशर्ते आपको घूमने फिरने और नए अनुभवों से गुजरने में आनंद आता हो।

अहमदाबाद- बड़ोदरा एक्सप‎े्रस वे की कुछ तस्वीरें आप भी देखिए। मैं आलेख के साथ फोटो नहीं डाल पाता, और उनके कैप्शन भी नहीं लिख पाता। इसलिए फिलहाल आप नीचे पड़ी फोटो को देखने का कष्ट उठाइए।