Sunday, January 23, 2011

पूर्वोत्तर के रंग से रंगा सिंहद्वार

सोचिए , राजस्थान की चमकदार संस्कृति पर नॉर्थ ईस्ट की चटकीली लोक संस्कृति के रंग भर जाएं तो कैसा होगा? सचमुच अद्भुत। अविस्मरणीय। अभिभूत कर देने वाला। अवर्णनीय अनुभव वाला। कल्पना से अधिक सुंदर। मादकता भरा। राजस्थान का सिंहद्वार कहा जाने वाला अलवर पिछले दिनों इसी यादगार अनुभव से गुजरा। अवसर था ऑक्टेव-2011 का। उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र, इलाहाबाद और जिला प्रशासन के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम। पूर्वोत्तर के 8 राज्यों के 300 लोक कलाकारों की प्रस्तुति। देश के वरिष्ठ रंगकर्मी बंशी कौल की कोरियोग्राफी। कैसे दो घंटे बीत गए पता ही नहीं चला। लगा जैसे राजस्थान का सिंहद्वार पूर्वोत्तर के रंग से रंग उठा। नीचे के चित्रों में आप भी देखिए, ऑक्टेव-2011 के कुछ रंग।

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