वो सिविल लाइंस की शाम,
वो चौक का जाम,
वो नैनी पुल की हवा,
वो सरस्वती घाट की मस्ती,
वो हीरा हलवाई के समोसे,
वो सीसीडी की कॉफी,
वो कटरा का क्राउड,
वो एसएमसी का गरूर,
वो जीएचएस की फुलझडिय़ां,
वो सिविल लाइंस की सडक़ें,
जहां न जाने से दिल धडक़े।
इलाहाबाद रॉक्स।
आलोक शुक्ला
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