Thursday, May 12, 2011

अपने शहर के वरिष्ठजनों के सामने मंच पर बैठना

मेरे अनुभव मुझे बताते रहे हैं कि मंचासीन होकर अपनी बात कहना बेहद सरल कार्य है, लेकिन वर्षों का यह मेरा अनुभव एक दिन गलत साबित हुआ। उस दिन मैंने महसूस किया कि मंच पर बैठकर आप सारी दुनिया को ज्ञान दे सकते हैं, लेकिन अपने शहर में वरिष्ठ लोगों के सामने मंच पर बैठकर बोलना, बहुत कठिन होता है। यही नहीं, उससे भी कठिन होता है कि उन्हें सम्मानित करना। यह मैंने उस दिन अनुभव किया, जिस दिन इलाहाबाद के वरिष्ठ रंगकर्मियों को सम्मानित करने के कार्यक्रम में उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र (एनसीजेडसीसी) ने मुझे विशिष्ट अतिथि बनाया। इस सम्मान समारोह के मुख्य अतिथि इलाहाबाद मंडल के कमिश्नर मुकेश मेश्राम थे।

नगर के रंगकर्मियों से सांस्कृतिक केन्द्र का सभागार भरा था। सांस्कृतिक केन्द्र ने सम्मान के लिए इलाहाबाद के रंगकर्मियों में सर्वश्री सचिन तिवारी, लल्लन सिंह गहमरी, अजित पुष्कल, दमयंती रैना, रामगोपाल, रामचंद्र गुप्ता, सुरेन्द्र जी और शास्त्रीय संगीत के सुप्रसिद्ध हस्ताक्षर शांताराम कशालकर को चुना था। यह सम्मान एक तरह का लाइफ टाइम एचीवमेंट एवार्ड जैसा था। इलाहाबाद के इन सभी रंगकर्मियों ने रंगमंच के लिए अपनी सीमाओं से ज्यादा काम किया है। यही कारण है कि इनमें से अधिकांश की पहचान राष्ट्रीय स्तर पर है। इलाहाबाद के सितारे तो यह हैं हीं।

सम्मानित होने वाले सभी वरिष्ठ रंगकर्मी पहली पंक्ति में बैठे थे। नए और पुराने रंगकर्मी उन्हें घेरे थे। पुराने संदर्भों को हल्के फुल्के ढंग से उठाया जा रहा था। प्रस्तुतियों के संस्मरण सुने सुनाए जा रहे थे। इस अनौपचारिक बातचीत में सभागार में उपस्थित अनेक नाट्यप्रेमी भी शामिल थे। अस्वीकृतियों के शहर के इस नए रूप पर मैं मुग्ध था। इलाहाबाद की पहचान व्यंग्य और कटुक्तियों की जगह पूरा वातावरण प्रशंसात्मक भाव से भरा था। दो इलाहाबादियों के परस्पर विरोधी पांच विचार, वाले इस शहर में ऐसा उल्लासपूर्ण आयोजन शायद पहली बार हो रहा था। मेरी उम्र के और मुझसे बाद की पीढ़ी के तमाम रंगकर्मी, सांस्कृतिक केन्द्र के निदेशक आनंद वर्धन शुक्ला की इस बात के लिए प्रशंसा कर रहे थे कि उनके नेतृत्व में सांस्कृतिक केन्द्र ने यह सराहनीय आयोजन किया।

कार्यक्रम के प्रारंभ में आज के रंगकर्म पर चर्चा हुई। चर्चा में अतुल यदुवंशी, डॉ. अनुपम आनंद और अनिल रंजन भौमिक ने विचार व्यक्त किए। अतुल ने रंगकर्म के लोक से, डॉ. अनुपम आनंद ने जीवन से और अनिल रंजन ने सरोकारों से कटते जाने पर चिंता व्यक्त की। अंत में चयनित वरिष्ठ रंगकर्मियों को हमने बुके देकर और शाल ओढ़ाकर सम्मानित किया। सम्मानित रंगकर्मियों को रंगकर्म में उनकी सराहनीय सेवाओं के लिए प्रशस्ति पत्र भी दिया गया। सांस्कृतिक केन्द्र के निदेशक आनंद वर्धन शुक्ल ने प्रारंभ में सभी का स्वागत और अंत में सभी के प्रति आभार व्यक्त किया। निसंदेह, अपने शहर के उन वरिष्ठ रंगकर्मियों को सम्मानित करना, जिनसे मैंने बहुत कुछ जाना और सीखा है, मेरे लिए गौरवपूर्ण और कभी न भुलाया जा सकने वाला अनुभव रहा। यह अवसर प्रदान करने के लिए सांस्कृतिक केन्द्र के निदेशक आनंद वर्धन शुक्ला का मैं ह्रदय से आभारी हूं।

मंच पर उपस्थित इलाहाबाद के सम्मानित किए गए वरिष्ठ रंगकर्मियों के साथ मेरा, कमिश्नर मुकेश मेश्राम और निदेशक आनंद वर्धन शुक्ल का समूह चित्र नीचे देखिए :-

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