Wednesday, March 18, 2009

बड़ी होली, छोटी होली और कपड़ा फाड़ होली

इलाहाबादी होली के रंग में कोई बदलाव नहीं आया है। वही गली, नुक्कड़ों और चौराहों पर बंधे और हिन्दी फिल्मों के गानों का शोर उगलते लाउडस्पीकर । वही 2 दिन छोटी और बड़ी होली के नाम पर रंगबाजी और तीसरे दिन कपड़ा फाड़ होली। दिन में रंग के समय कारों और मोटरसाइकिलों पर रेस लगाते युवा और देर रात तक नुक्कड़ों, चौराहों पर नाचते गाते और शराबी की एक्टिंग करते हुए गले मिलते लोग। यानी बरसों बरस से यही सब कुछ। कुछ नहीं बदला इलाहाबादी होली में। बदला तो बस इतना कि पहले रंग के समय लोग पैदल या साइकिल से चलते थे और अब कार और बाइक्स से।
इलाहाबाद में इस बार मेरे पास आने-जाने का कोई साधन नहीं था। इसलिए मैंने पैदल और रिक्शे से होली का आनंद उठाया। दरअसल सभी साधनों ने ऐन होली के दिन मुझे धोखा दे दिया था। इसलिए रंग वाले दोनों दिन मैं पैदल ही रहा। मैंने इसका फायदा उठाया। अशोक नगर से राजापुर, कटरा, मेंहदौरी कॉलोनी और चौक तक जाकर मैंने इलाहाबाद के बदलाव को नजदीक से देखने-समझने की कोशिश की। बच्चों की रंगबाजी झेली। अमिताभ बच्चन के गानों से कान साफ कराया और शराबी की एक्टिंग करते लोगों से गले मिलकर प्यार लूटा।
होली पर पूरे शहर में मस्ती छाई रही। रंगों की बारिश में सभी भीगे। होली के रंगों से केवल तन ही रंगीन नहीं हुआ, बल्कि मन की स्लेट भी साफ हो गई। चारों तरफ रंग ही रंग। अलसुबह से शुरू हुआ रंग देर शाम तक जारी रहा। चौक, लोकनाथ, भारती भवन की होली तो परंपरागत तरीके से निराली ही रही, लेेकिन अहियापुर, अतरसुइया, मीरापुर, बहादुरगंज, खुल्दाबाद, कटरा, दारागंज, कीडगंज, जीरोरोड, अल्लापुर, मम्फोर्डगंज, तेलियरगंज, राजापुर में भी जमकर होली हुई। कई जगहों पर लोगों ने पाइप काटकर होली स्पेशल फुहारे बनाए तो कई जगह पर ड्रम में लोगों को डुबो कर रंगीन किया। सामाजिक सरोकारों के प्रति प्रतिबद्ध लोगों ने होली पर पानी की बर्बादी रोकने के लिए कटरा में परंपरागत तरीके से लोगों को नाले में नहलाया तो पानी बचाने के लिए प्रयासरत लोगों ने मुट्ठीगंज और दारागंज में कीचड़ और नाली के पानी का उपयोग किया। ठठेरी बाजार में जहां तीसरे दिन घोषित रूप से कपड़ा फाड़ होली खेली गई, वहीं कटरा, अल्लापुर, चौक, लोकनाथ, खुल्दाबाद, मुट्ठीगंज और मीरापुर चौराहों पर छोटी और बड़ी होली के दोनों दिन दोपहर बाद कपड़ा फाड़ होली हुई। लोगों के शरीर पर तार-तार हुए सारे कपड़े बिजली के तारों पर फेंक दिए गए ताकि सनद रहे और वक्त जरूरत काम आए। होली के इतने दिनों बाद भी अगर आप आज इलाहाबाद जाएं तो बिजली के तारों पर लटके होलियारों के फटे कपड़े देख सकते हैं।
इलाहाबाद की होली के कुछ और रंग इस बार भी पूरी तरह चटक रहे। मसलन, दारागंज के धकाधक चौराहे पर दोनों दिन दर्जन भर दमकलों ने लोगों को रंगों से सराबोर किया। होलियारों की बारात में शामिल यह दमकलें लोगों को भिगोती रहीं तो बाराती बैंड बाजों की तेज धुन पर गिरते-पड़ते नाचते रहे। जीरोरोड पर होलियारों ने अपनी बारात में एक हाथी को शामिल कर लिया। नतीजतन हाथी भी बैंड की धुन पर झूमता अपनी सूंड में रंग भरकर बारजे पर खड़ी लड़कियों और हर आने-जाने वाले को सराबोर करता रहा। पिछले साल इस हाथी ने लोकनाथ चौराहे पर रंग खेला था, इसलिए इस साल इसे जीरोरोड वाले पकड़ लाए। संगम पर साधुओं ने पहले आपस में होली खेली और फिर लेटे हुए हनुमान जी को अबीर गुलाल चढ़ाकर होली का शुभाशीर्वाद लिया।
इलाहाबाद पढ़े-लिखे लोगों का शहर है। यहां बुद्धिजीवी बसते हैं। यह बताने के लिए कई संगठनों ने होली से पहले और बाद में कवि सम्मेलन और गीत संगीत जैसे कई कार्यक्रम किए। जाहिर है, इन आयोजनों में व्यापारिक संगठन आगे रहे। प्रयाग व्यापार मंडल ने हर साल की भांति कोतवाली के बगल स्थित नीम के पेड़ के नीचे गीत-संगीत संध्या का आयोजन किया। मारवाड़ी अग्रवाल धर्मार्थ समिति ने हास्य कवि सम्मेलन आयोजित किया। इसी प्रकार अनेक संगठनों ने रंगारंग कार्यक्रम किए। तीन दिनी इलाहाबादी होली की मस्ती के बीच परंपरागत तरीके से कई जगहों पर भगदड़ हुई, गोली चली और बम फोड़े गए, लेकिन इससे इलाहाबादी होली की मस्ती कहीं कम नहीं हुई। जय हो इलाहाबाद।

2 comments:

सुनील पाण्‍डेय said...

ये है इलाहाबाद की झक्कास होली

सुनील पाण्‍डेय said...

ये है इलाहाबाद की झक्कास होली